गुरुवार को घरेलू वायदा बाजार में सोने की कीमतों में ₹125 की गिरावट आई और यह ₹1,12,430 प्रति 10 ग्राम पर आ गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने का रुख सपाट रहा क्योंकि व्यापारी प्रमुख अमेरिकी मुद्रास्फीति (Inflation) आंकड़ों से पहले सतर्क दिखे।
एमसीएक्स (MCX) पर सोने के भाव
- अक्टूबर डिलीवरी का सोना वायदा ₹125 या 0.11% गिरकर ₹1,12,430 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
- कारोबार का वॉल्यूम: 6,314 लॉट।
- दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट ₹147 या 0.13% टूटा और ₹1,13,500 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
- कारोबार का वॉल्यूम: 11,823 लॉट।
चांदी के भाव
- दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट ₹124 या 0.09% बढ़कर ₹1,34,126 प्रति किलोग्राम पर पहुंचा (17,121 लॉट)।
- मार्च 2026 कॉन्ट्रैक्ट ₹147 या 0.11% चढ़कर ₹1,35,563 प्रति किलोग्राम पर रहा।
ग्लोबल मार्केट अपडेट
- सोना: $3,768.50 प्रति औंस
- चांदी: $44.19 प्रति औंस
विश्लेषकों का कहना है कि सोना फिलहाल $3,750 लेवल के आसपास सपाट कारोबार कर रहा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक (Fed) से इस साल दो बार दरों में कटौती की उम्मीदों ने डॉलर की मजबूती को सीमित किया है और बुलियन को सहारा दिया है।
विशेषज्ञों की राय
जिगर त्रिवेदी, सीनियर रिसर्च एनालिस्ट, रिलायंस सिक्योरिटीज ने कहा:
“अमेरिकी मैक्रोइकोनॉमिक डेटा ने सोने के आउटलुक को और जटिल बना दिया है। अगस्त में नए घरों की बिक्री अप्रत्याशित रूप से तेज रही, जो 2022 की शुरुआत के बाद सबसे ज्यादा है। इससे आर्थिक सुस्ती को लेकर चिंताएं कुछ कम हुईं लेकिन फेडरल रिजर्व की अतिरिक्त नरमी की उम्मीदों पर सवाल खड़े हो गए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सोने की सेफ-हेवन डिमांड अभी भी रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में जारी भू-राजनीतिक तनाव के चलते मजबूत बनी हुई है।
फेड की नीतियों पर नजर
फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने भी सावधानीपूर्ण रुख बनाए रखा। उन्होंने कहा कि लगातार ऊंची महंगाई और धीमी हो रही लेबर मार्केट के बीच संतुलन बनाना कठिन है।
- कुछ नीति निर्माता इस साल दो और दर कटौती के पक्ष में हैं।
- वहीं, कुछ सदस्य धीमी या ज्यादा आक्रामक कटौती की वकालत कर रहे हैं।
इस असमंजस ने सोने की कीमतों को ऊपर जाने से रोक रखा है।
आगे क्या देख रहे हैं निवेशक?
कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, निवेशकों की नजर अब प्रमुख अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों पर है, जिनमें शामिल हैं:
- दूसरी तिमाही का फाइनल GDP
- साप्ताहिक बेरोजगारी दावे (Jobless Claims)
- ड्यूरेबल गुड्स ऑर्डर
लेकिन असली फोकस शुक्रवार को आने वाले Personal Consumption Expenditure (PCE) Price Index पर है, जो फेड का पसंदीदा महंगाई संकेतक है। इसके अलावा, FOMC सदस्यों के भाषण भी बाजार की दिशा तय करेंगे।