CBSE ने साफ कर दिया है कि अब 75% Attendance और Internal Assessment पास करना हर स्टूडेंट के लिए जरूरी है। अगर बच्चा स्कूल रेगुलर नहीं आता और इंटरनल असेसमेंट में पार्ट नहीं लेता, तो उसका रिजल्ट रोका जा सकता है।
📌 CBSE की नई गाइडलाइन
CBSE ने नोटिस में कहा कि:
- Internal Assessment अब फाइनल रिजल्ट का जरूरी हिस्सा है।
- अगर स्कूल के पास बच्चे की परफॉर्मेंस का रिकॉर्ड नहीं होगा, तो रिजल्ट डिक्लेयर नहीं होगा।
- ऐसे बच्चे जिन्हें इंटरनल असेसमेंट का मार्क नहीं मिलेगा, उन्हें Essential Repeat Category में डाल दिया जाएगा। इसका मतलब उन्हें अगले साल दोबारा बोर्ड एग्जाम देना पड़ेगा।
🎓 Attendance पर सख्ती
CBSE ने अगस्त में ही सर्कुलर भेजकर कहा था कि कम से कम 75% Attendance जरूरी है। अब इसे लागू भी किया जा रहा है। इसका मतलब स्टूडेंट्स क्लासेस छोड़कर सीधे बोर्ड एग्जाम नहीं दे सकते।
🏫 स्कूल प्रिंसिपल्स की राय
कई प्रिंसिपल्स का कहना है कि CBSE का यह कदम बच्चों को रेगुलर स्कूल आने और साल भर पढ़ाई करने के लिए मजबूर करेगा।
- South Point High School के प्रिंसिपल ने बताया कि क्लास X में तीन एग्जाम होते हैं और सबके मार्क्स को जोड़कर फाइनल मार्क्स बनते हैं।
- BDM International की प्रिंसिपल के मुताबिक, इंटरनल असेसमेंट में स्कूल एग्जाम, प्रोजेक्ट्स और डेली एक्टिविटीज आती हैं। अगर बच्चा स्कूल रेगुलर नहीं है, तो ये सब मिस हो जाएंगे।
🔑 क्यों जरूरी है ये बदलाव
CBSE का कहना है कि क्लास IX-X और XI-XII दो साल का प्रोग्राम है। इसलिए हर सब्जेक्ट को दो साल तक पढ़ना जरूरी है।
- इससे बच्चे बीच में पढ़ाई स्किप करके सिर्फ बोर्ड एग्जाम देने नहीं आ सकेंगे।
- लगातार असेसमेंट से बच्चों की परफॉर्मेंस ट्रैक की जा सकेगी।
- बोर्ड एक्सपीरियंस और प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज्यादा फोकस कर रहा है।